एक लड़का और लड़की यानी कि एक कपल शादी के बंधन में बनते हैं तो उनकी पूरी जिंदगी एक नए सिरे से शुरू होती है। लेकिन दोनों को जिंदगी का सबसे बड़ा सुख तब मिलता है जब वो मां-बाप बनते हैं। घर में बच्चे का आगमन खुशियां लेकर आता ही है।
साथ ही माता-पिता बनने वाले दंपति का जीवन भी इस खुशी के साथ बदल जाता है। एक मां अपने बच्चे को अपने गर्भ में 9 महीने तक पेट में पालती है और उसके बाद बच्चे का जन्म होता है। लेकिन इन दिनों सरोगेसी (Surrogacy) के जरिए बच्चे को जन्म देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। बड़े-बड़े सेलिब्रिटी सरोगेसी (Surrogacy) के जरिए मां बाप बनने का सुख हासिल कर रहे हैं।
अभी हाल ही में खबर आई है कि मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी Surrogacy के जरिए मां बनी है। इस बात की जानकारी खुद प्रियंका चोपड़ा ने अपने पति निक जोनस के साथ सोशल मीडिया पर खुद ही दी है। ऐसे में बहुत सारे लोग जो यह नहीं जानते हैं कि Surrogacy क्या होता है तो आइए आज हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे।
क्या है सेरोगेसी ( What is Surrogacy in Hindi ) –
सेरोगेसी तकनीकी की देन है। जब कोई कपल मां-बाप के सुख से वंचित रहते हैं या फिर जब कोई महिला अपनी कोख से बच्चा न जन्म के किसी दूसरी महिला के कोख से अपने बच्चे को जन्म देने के लिए किराए पर लेते हैं तब इसे सेरोगेसी कहा जाता है।
एक महिला अपने डोनर से एक के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए गर्भ धारण करती है और उसके बच्चे को जन्म देती है। जो दंपत्ति अपने बच्चे को जन्म देने के लिए सरोगेसी का सहारा देते हैं वह उस बच्चे के जैविक माता-पिता बनते हैं तथा जो महिला अपने को कोख को किराए पर देती है उसे सरोगेट मां कहा जाता है।
सरोगेसी की प्रक्रिया में दंपत्ति और सरोगेट मां के बीच एक एग्रीमेंट होता है। इस एग्रीमेंट के तहत कानूनी रूप से बच्चे के माता-पिता सरोगेट कराने वाले दंपति को ही माना जाता है।
वर्तमान समय में दो तरह की सरोगेसी प्रचलन में है:-
पहला सरोगेसी के तहत पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेसी अपनाने वाली महिला के एग के साथ मैच कराया जाता है। इसे ट्रेडिशनल सेल के नाम से जाना जाता है। इसमें सरोगेसी मदर ही बच्चे की बायोलॉजिकल मदर समझी जाती है।
दूसरी जेस्टेशनल सेरोगेसी है। इसमें सरोगेट मां का बच्चे से संबंध जैविक नहीं होता है। इसे आसान भाषा में कहें तो इसमें प्रेगनेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
सरोगेट मदर बच्चे की जैविक मान नहीं होती है। वह सिर्फ बच्चे को जन्म देने का काम करती है। इसमें बच्चे के पिता स्पर्म तथा उसके मां का एग बिल या डोनर स्पर्म को एग से मेल करा कर टेस्ट ट्यूब के जरिए सरोगेट मां के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है।
कब ले सकती है सरोगेसी का सहारा –
सरोगेसी के पीछे वर्तमान समय में जो वजह सबसे ज्यादा देखने को मिलती है,वह यह है कि जब कोई दंपत्ति बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं होते हैं तब वह सरोगेट मदर के जरिए बच्चे को जन्म देते हैं।
कभी-कभी गर्भ धारण करने से महिला की जान को खतरा रहता है ऐसे में वह महिला बच्चे को जन्म देने के लिए किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लेती है। यानी कि किसी दूसरी महिला के कोख में अपने बच्चे को पालती है। ऐसे में वह महिला सरोगेट मदर कहलाती है।
नोट: इस लिस्ट में बताई गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। यहां पर इलाज नहीं बताया गया है।
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