विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक न्यूट्रिन माना जाता है। यह हमारी हड्डियों और दांतों को स्वस्थ बनाने के लिए बहुत जरूरी होता है। विटामिन डी 2 प्रकार में पाई जाती है जो स्वस्थ रहने के लिए और शरीर के पोषण के लिए जरूरी है।
इसे विटामिन D2 और विटामिन D3 के नाम से जानते है। विटामिन D2 हमें मिनिरल्स, दूध और अन्य दूध से बने डेयरी उत्पादों से मिलता है। विटामिन D3 हमारे शरीर में स्वयं बनता है। यह शरीर के सूर्य कक रोशनी के संपर्क में आने से बनता है।
जब शरीर परसूर्य की रोशनी पड़ती है तब रासायनिक प्रक्रिया के तहत यह खुद-ब-खुद बनता है। इसके अलावा यह अंडा और मछलियों में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
हमारे शरीर में पाए जाने वाले विटामिन D2 और विटामिन D3 एक विटामिन डी के फॉर्म में अपने आप बदल जाते हैं। इसे 25 हाइड्रोक्सी विटामिन के नाम से जाना जाता है। विटामिन डी टेस्ट को इसी के द्वारा मापा जाता है।
अगर विटामिन डी के लेवल असामान्य पाए जाते हैं तो बोन डिसऑर्डर और पोषण की कमी जैसे कई क्रिटिकल मेडिकल परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
हाल में ही कुछ शोध से पता चल रहा है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी है उनमें कोरोना वायरस होने का खतरा अधिक है। ऐसे में विटामिन डी के स्रोत और विटामिन डी की टेस्ट से जुड़ी बातों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
क्यो होता है विटामिन डी टेस्ट –
विटामिन डी का टेस्ट ज्यादातर बोन डिसऑर्डर के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अस्थमा, सांस से जुड़ी समस्या और ऑटो इम्यून डिजीज के मरीजों के लिए भी विटामिन डी के लेवल की जांच की जाती है।
विटामिन डी के टेस्ट की आवश्यकता
शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर डॉक्टर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। विटामिन D3 टेस्ट तब किया जाता है जब ये निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं –
- बोन डिसऑर्डर
- हड्डियों का कमजोर होना
- विटामिन डी डिफिशिएंसी का रिस्क होना
रिस्क फैक्टर –
विटामिन डी रिस्क फैक्टर निम्न परिस्थितियों में देखने को मिलते हैं जैसे –
- ऑस्टियोपोरोसिस
- गैस्ट्रिक
- बाईपास सर्जरी
- वृद्धावस्था
- सूर्य की रोशनी में कम रहने के कारण डार्क कांप्लेक्शन के कारण
- डाइट में फैट ऑब्जवर में समस्या होने पर
विटामिन डी का टेस्ट ब्लड का टेस्ट होता है। इसमें हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स में एक मॉडल के माध्यम से ब्लड का सैंपल लेकर उसकी जांच करते हैं। इस प्रक्रिया में 5 मिनट से भी कम का समय लगता है।
क्या विटामिन डी के टेस्ट के दौरान कोई रिस्क है –
सामान्य रूप से विटामिन डी के टेस्ट के दौरान किसी भी प्रकार का कोई रिस्क नहीं पाया जाता है। लेकिन जब हाथ में निडिल लगाई जाती है तो उ जगह थोड़ा दर्द होता है जो कि कुछ देर बाद ठीक हो जाता है और इसका कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलता है।
शरीर में विटामिन डी की कमी का मतलब
विटामिन डी के टेस्ट में यदि विटामिन डी की कमी पाई जाती है तो इसका मतलब है –
- सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में शरीर को नहीं मिल पा रही हो
- डाइट में विटामिन डी की मात्रा का पर्याप्त रूप से सेवन नहीं हो रहा हो
- डाइट में विटामिन डी का ऑब्जर्व करने में दिक्कत हो रही हो
विटामिन डी की रिपोर्ट में यह विटामिन डी की अधिकता आती है तो इसका मतलब आप बहुत अच्छा पिल्स ले रहे हैं। ऐसे में विटामिन डी की मात्रा को कम करना होगा। विटामिन डी की अधिकता भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या उत्पन्न करता है।
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