पिछले एक दशक में दुनियाभर में हृदय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारियों ने भी हृदय रोग को वैश्विक स्तर पर बढ़ते मृत्युदर का एक प्रमुख कारण बताया है।
यहां सबसे गंभीर बात यह है कि उम्र बढ़ने के साथ हृदय रोग से जुड़ी समस्या अधिक देखने को मिलती है। पहले के समय में बढ़ती उम्र के साथ हृदय रोग की समस्या देखी जाती थी। लेकिन अब कम उम्र में ही लोग हृदय रोग से पीड़ित होने लगे हैं। हालांकि ऐसे रोगियों का इलाज किया जा रहा है।
प्रमुख रूप से इस बीमारी का कारण जीवन शैली और आहार में गड़बड़ी का होना है। जिसके वजह से हृदय रोग जन्म लेता है। अभी हाल में ही वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने एक खास विटामिन की कमी को हृदय रोग के खतरे को जिम्मेदार कहा है।
यूरोपियन हॉट जनरल ने एक शोध प्रकाशित हुआ है। जिसमें वैज्ञानिकों ने कहा है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है उन लोगों में हृदय रोग से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है।
शोध के अनुसार अन्य लोगों की तुलना में हृदय रोग उनलोगों को अधिक होता है जिनके अंदर विटामिन डी की कमी पाई जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि शहरी लोगों में विटामिन डी की कमी अधिक देखने को मिलती है।
इसका प्रमुख कारण यह है कि आहार के माध्यम से दैनिक रूप से आवश्यक विटामिन डी की आपूर्ति नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों को अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए। जिससे दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति नियमित रूप से होती रहे। विटामिन डी हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बेहद आवश्यक विटामिन होती है।
हृदय रोग और विटामिन डी की कमी में संबंध
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है और लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अधिक देखने को मिलती है। जिसकी वजह से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
मालूम हो कि हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण समझा जाता है। अन्य लोगों की तुलना में जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है उन लोगों में हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर जैसी ह्रदय रोग से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा दोगुना बढ़ जाता है।
शोध में यह भी बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर ह्रदय रोग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 17.9 मिलियन लोगों की जान ह्रदय रोग की वजह से जाती है।
शोध से क्या पता चला ?
यूनिवर्सिटी आफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर एलिना हाईपोनन तो कहना है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है उनमें हृदय रोग समय कई सारी बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है।
उनका कहना है कि फिलहाल लोगों में विटामिन डी की गंभीर कमी होने का मामला बेहद दुर्लभ है। हालांकि सामान्य से अधिक की कमी देखी जा रही है जो हृदय पर नकारात्मक रूप से गंभीर असर डालती है।
शहरी आबादी वाले लोगों में विटामिन डी की कमी अधिक देखने को मिलती है। शोधकर्ता का कहना है कि इसका प्रमुख कारण पर्यावरण भी है। सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में न मिल पाने की वजह से विटामिन डी की आपूर्ति प्राकृतिक तरीके से नहीं हो पाती है।
यही वजह है कि शहरी लोगों में विटामिन डी की कमी की समस्या अधिक देखने को मिलती है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए अपना कुछ वक्त सूरज की रोशनी में जरूर बिताये।
वैश्विक स्तर पर बड़ा खतरा –
इस शोध को करने के लिए वैज्ञानिकों ने 267980 लोगों को अपने शोध में शामिल किया। शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि विटामिन डी की कमी और हृदय रोग के बीच प्रत्यक्ष संबंध होने के साक्ष्य मिले हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी की शरीर में जिस अनुपात में कमी होती है तो उसी अनुपात में हृदय रोग होने का खतरा बढ़ने लगता है। यदि आहार और सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में ली जाए तो इससे विटामिन डी की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते खतरे को कम करने के लिए लोगों को अपने आहार पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही कुछ वक्त सूरज की रोशनी में रहने की जरूरत है।
कैसे प्राप्त करें विटामिन डी –
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अपने आहार में कुछ बदलाव करके विटामिन डी की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा सुबह के समय सूरज की रोशनी में रहने से काफी फायदा मिलता है।
बता दें कि सूरज की रोशनी प्राकृतिक रूप से विटामिन डी का स्त्रोत है। विटामिन डी को प्राप्त करने के लिए अपने आहार में इन चीजों को शामिल करें –
- फैटी फिश
- विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सोया मिल्क, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद, संतरे
- अंडा और पनीर मूंगफली
Note: ध्यान रहे यहां पर बताई गई बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए है। हमारी पोस्ट का मकसद लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। यहां पर किसी भी बीमारी का इलाज नहीं बताया गया है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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